Wednesday 31 August 2011

25 साल का हुआ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड


कटड़ा (31 August)। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने 30 अगस्त को 25 वर्ष पूरा किया। इस उपलक्ष्य में भवन व आधार शिविर कटड़ा में रजत जयंती समारोह मनाई गई। इस मौके पर बोर्ड प्रशासन ने वैष्णो देवी भवन सहित भैरो घाटी, सांझीछत, अ‌र्द्धकुंवारी, चरण पादुका, गुरुकुल तथा आधार शिविर कटड़ा के निहारिका कांप्लेक्स में हवन-यज्ञ का आयोजन किया। 

मुख्य समारोह भवन स्थित श्रीधर भवन परिसर में हुआ, जिसमें राज्यपाल एवं बोर्ड के चेयरमैन एनएन वोहरा बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। उन्होंने हवन यज्ञ में शामिल होकर साल के अंत तक बोर्ड प्रशासन द्वारा चलाए जाने वाले समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। इससे पहले राज्यपाल सुबह 10.45 पर जम्मू से विशेष हेलीकाप्टर से यहां पहुंचे। राज्यपाल ने वैष्णो देवी के चरणों में हाजिरी लगाकर राज्य की सुख शांति की कामना की। इसके उपरांत राज्यपाल ने भवन पर पांच मंजिला इमारत का नींव पत्थर रखा। इसमें श्रद्धालुओं के लिए करीब 2500 निशुल्क लॉकर की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही राज्यपाल ने गौरी भवन स्थित घोड़ों तथा मजदूरों के लिए बनने वाले चार मंजिला कांप्लेक्स का नींव पत्थर भी रखा। 

इस मौके पर बोर्ड के एडिशनल सीईओ डॉ. एमके भंडारी ने बताया कि यह दोनों महत्वपूर्ण परियोजनाएं दो साल के अंदर पूरी कर ली जाएगी। इसके साथ ही राज्यपाल ने भवन पर निर्माणाधीन पार्वती कांप्लेक्स का जायजा लिया। अधिकारियों को तय समय में परियोजनाएं पूरी करने के निर्देश दिए। बोर्ड प्रशासन ने पूर्व सीईओ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इस मौके पर मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सचिव बीबी व्यास, वित्त आयुक्त वीआर शर्मा, प्रिंसिपल सचिव वित्त विभाग सुधांशु पांडे, डीआइजी जगजीत कुमार, डीसी रियासी पीके पोले, एएसपी मोहन लाल, डीएसपी भवन परषोत्तम शर्मा, एसएचओ भवन एसडी सिंह व अन्य मौजूद थे।

Conscious nations never forget the sacrifices of their martyrs

 Press-Note   Date : 31/08/2011
Shri Amarnath Samiti has paid glowing tributes to all the 13 martyrs of 2008 Amarnath land row agitation who scarified their lives during the Amarnath land row.The function was organized in a big way with huge participation of people at  Geeta Bhawan, Jammu. The focus of the programme was to remember and recall the supreme sacrifices made by the martyrs during the agitation. Sangharsh Samiti honored the family members of all the martyrs by presenting them shawls as a token of respect. The photographs of all the martyrs namely Manjit Kumar, Ramesh Kumar, Kuldeep Verma, Sanjeev Singh Samyal, Sunny Padha, Narinder Sharma, Dr. Balwant Raj Khajuria, Deepak Kumar, Bodh Raj, Girdhari Lal  Jaswant Singh Ajab Singh and Satish Pandita  were placed on the stage bedecked with flowers and garlands.Paying floral homage to the martyrs Brgd.Sucheet Singh  Convenor of the Samiti described their sacrifices as supreme service to the nation. He said that the conscious nations never forget the sacrifices of their people and try to fulfill the cause for which those people laid down their lives.   He said the 2008 agitation brought all the nationalist people of Jammu & Kashmir under one umbrella to agitate against the repeated discrimination with Jammu in all matters and at all levels.  It was the out burst and anger of Jammuites  & Kashmiri Pandits against the successive governments which had taken them  for granted
Dr.Jitendra Singh a member of Samiti, said it was a historic agitation which sent a clear message that the nationalist people of Jammu & Kashmir will not tolerate any discrimination and that they can achieve what they deserve. He said the people of Jammu have been consistently agitating since 1947 on different issues which were directly related to the national cause and full integration of the state with the rest of the country. "Be it Praja Parishad, Jana Sangh or Sangarsh Samiti, we have always stood with the nationalist people in the state and even sacrificed our youth while fighting against discriminatory policies and against anti-national elements.   
Speaking on the occasion Chairman of Shri Amarnath Shaheed Memorial Trust & former Convenor of Sangarsh Samiti  Leela Karn Sharma criticized the state government for  not keeping its promise of compensating traders, transporters, industrialists, farmers and others, who suffered losses during the agitation to the tune of 15,000 crores alleging this was so because of its anti national approach.  

He  
said that lacs of people including our security personals have laid down their lives for the Nation since 1931 and the nation owes a lot to these martyrs and will never let down their sacrifices. He said the cancellation of Shri Amarnath Land and speech made by Omar Abdullha in Parliament  in  2008  showed the mentality of rulers in Jammu & Kashmir, He said to remember the martyrdom of the grat martyrs of Bharat Mata in J&K, Sangarsh Samiti has created  Shri Amarnath Sheed memorial trust which  will construct a memorial in the name of these martyrs at Jammu. Prominent among others who attended the Swabiman Diwas were Mahant Rameshware  Dass ji Maharaj,  Prof.Hari Om,  Dr. Gautam Mengi, Ashwani Chirango,  BJP Legislature Party leader Jugal Kishore Sharma, BJP state president Shamsheer Singh Manhas, Dr.Nirmal Singh President Brahmin Sabha Ved Prakesh Saharma  Prof.Narinder Singh, Advocate Chander Mohan Sharma, Chander Prakesh Ganga, Annan Sharma, Pritam Sharma Shakti Dutt Sharma and Mohinder Pal Singh Pandu,
                                         
                                      Ravinder Raina
                                          Secretary
                                          SAYSS

जम्मू में तीसरा विशाल गणेश उत्सव एक सितम्बर से


जम्मू। जम्मू के परेड़ ग्राउंड में श्री गणेश उत्सव 1 सितम्बर से 11 सितम्बर तक भारतीय वैदिक संस्थान की ओर आयोजित किया जा रहा है जिसके लिए मुम्बई से भगवान श्रीगणेश जी की 15 फीट मूर्ति मंगवाई गई है। आचार्य संजय शास्त्री ने आज यहां पत्रकारों को सम्बोधित करते हुये बताया कि जम्मू में यह तीसरा विशाल गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। इस संबंध में आज सायंकाल में वैदिक आश्रम ग्रेटेर कैलाश से एक शोभा यात्रा भी निकाली जायेगा जो शहर के विभिन्न बाजारों से होती हुये परेड ग्राउंड पहुंचेगी।

उन्होंने कहा कि एक सितम्बर को कलश यात्रा के बाद परेड ग्राउंड में यह उत्सव प्रारंभ होकर 11 सितम्बर तक चलेगा। इस दौरान श्रीगणेश कथा, भजन, कीर्तन व अन्य कार्यक्रम लगातार 10 दिन तक चलते रहेंगे। 11 सितम्बर को मूर्ति विसर्जन होगा जिसके लिए जम्मू से मूर्ति यात्रा अखनूर के लिए रवाना होगी।           

श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन के शहीदों को दी श्रद्धाञ्जलि


जम्मू। श्री अमरनाथ यात्रा संघर्ष समिति ने श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन के शहीदों की याद में आज जम्मू के गीता भवन में एक स्वाभिमान दिवस का आयोजन कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर समिति के पदाधिकारियों व समाज के प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा इस आंदोलन में शहीद हुये मंजीत कुमार, रमेश कुमार, कुलदीप वर्मा, सन्नी पाधा, संजीव सिंह सम्बयाल, डॉ. बलवंत खजूरिया, दीपक कुमार, बौद्ध राज, यशवंत सिंह, हरनाम सिंह तथा सतीश पंडिता के परिजनों को शाल भेंट कर सम्मानित भी किया गया।

समिति के संयोजक सुचेत सिंह ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुये कहा कि श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन एक ऐतिहासिक आंदोलन था जिसमें जम्मू संभाग की राष्ट्रवादी जनता के साथ-साथ पूरा देश शामिल हुआ। समाज के हर वर्ग के लोगों ने इस आंदोलन में जो योगदान दिया, उसे याद कर आज भी सिर स्वाभिमान से उठ जाता है। 

उन्होंने बताया कि श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन के शहीदों की याद में समिति ने शहीद मेमोरियल ट्रस्ट का गठन किया है जो आने वाले समय जम्मू में एक शहीदी स्मारक का निर्माण करेगा।

विदित हो कि वर्ष 2008 में श्री अमरनाथ श्राईन बोर्ड को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अलाट की गई भूमि को सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया था। इसके विरोध में जम्मू संभाग में एक बहुत बड़ा आंदोलन चला था और उसका असर पूरे देश में भी देखने को मिला था। महिला, पुरूष, बच्चे व बुजुर्ग हर वर्ग के लोग इस आंदोलन में शामिल हो गये थे और लाखों की संख्या में लोगों ने अपनी गिरफ्तारियां देकर सरकार को भूमि वापिस देने पर मजबूर कर दिया था।

Wednesday 24 August 2011

Tribute to be paid to martyrs of Amarnath agitation.


Jammu (23/08/2011) : Shri Amarnath Shaheed Memorial Trust and Shri Amarnath Sangarsh Samiti  will pay a tribute to  to the martyrs of Amarnath land row agitation  at Geet Bhawan, Prade on 31st of August this year.  This day will be celebrated as 'Swabhiman Divas". 

On this day nationalist people of Jammu & Kashmir successively restored the land allotment  for Shri Amarnath Shrine Board which was earlier cancelled  by the state Govt. under the pressure of separatists, after that a massive agitation out broke in Jammu, Ladhak & other parts of India.It was a historic agitation which sent a clear message that the people of Jammu will not tolerate any discrimination and that they can achieve what they deserve.  In this agitation 14 sons of the soil laid their lives. Twelve got martyrdom during the agitation while two seriously injured died after the victory of Amarnath land agitation. 

The great martyrs  those laid down their lives during that agitation were  Manjit Kumar, Ramesh Kumar, Kuldeep Verma, Sunil Singh, Jugal Kishore, Sanjeev Singh Samyal, Sunny Padha, Narinder Sharma, Dr. Balwant Khajuria, Deepak Kumar, Bodh Raj, Girdhari Lal. Two youth namely and Satish Pandita & Raghu Nandan those were injured during the agitation died after the victory of that agitation.All the nationalist organisations  and the families of the martyrs are invited in this 'Swabhiman Divas"  To remember the martyrdom of the martyrs Sangarsh Samiti has created a Sheed memorial trust which  will construct a memorial in the name of these martyrs at Jammu.

श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मुहैया कराये सरकार : महासंघ

श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मुहैया कराये सरकार : महासंघ
जम्मू। धर्मयात्रा महासंघ ने श्री अमरनाथ के श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया कराये जाने की मांग की है। महासंघ ने इसके लिए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को पत्र भी भेजा है। इसमें तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं। महासंघ द्वारा गठित एक समिति ने यात्रा के दौरान आने वाले विभिन्न समस्याओं का गहन अध्ययन किया है। इस रिपोर्ट के आधार पर यह मांग की गयी है।

उल्लेखनीय है कि श्री अमरनाथ के दर्शनार्थ देश और विदेश से लाखों लोग प्रतिवर्ष आते हैं, परन्तु इनको अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। प्रत्येक तीर्थयात्री जम्मू-कश्मीर राज्य में हजारों रुपये व्यय करके यहां के निवासियों को रोजगार देते हैं और राज्य पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही राज्य की अर्थ व्यवस्था को भी मजबूत बनाते हैं। लेकिन सरकार इन तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं पर ध्यान नहीं देती है। धर्मयात्रा महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक नील शर्मा और राष्ट्रीय महामंत्री नरेन्द्र बिदल ने तीर्थ यात्रियों के प्रति राज्य सरकार के इस प्रकार के रवैये की आलोचना की। विदित है कि धर्मयात्रा महासंघ; तीर्थ व तीर्थ यात्रियों के सहायतार्थ कार्य करने वाला सामाजिक संगठन है।
धर्मयात्रा महासंघ की प्रमुख मांगें-
* अमरनाथ यात्रियों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निवारण हेतु यात्रा के आधार शिविरों- नुनवान व बालटाल में स्थाई अस्पतालों का निर्माण किया जाए। ये शिविर यात्रा के दौरान दो महीने तीर्थ यात्रियों की सेवा को प्राथमिकता दे व शेष के दस महीनों में स्थानीय जनता के उपयोग में आएं। इस वर्ष 100 से अधिक यात्री व स्थानीय लोग यात्रा के दौरान अकाल मृत्यु का ग्रास बने, क्योंकि मार्ग में पर्याप्त स्वास्थ्य संबंधी सुविधा नहीं थी।
* अमरनाथ यात्रा के दोनों रास्तों के प्रत्येक पड़ाव में सरकार की ओर से उच्च सुविधाओं एंव साधनों से युक्त स्वास्थ्य केन्द्रों की व्यवस्था की जाए।
* जहां तक संभव हो चल चिकित्सालय तथा हवाई एम्बुलेसों की व्यवस्थाएं की जाए ताकि आपातकाल में या़त्रियों को अस्पताल पहुंचाया जा सके।
* यात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ खच्चर वाले व स्थानीय लोगों की भी सुरक्षा जांच की जाये। बर्फानी मार्ग चौड़ा व पक्का किया जाए, जिससे वर्षा के कारण होने वाले फिसलन से यात्रियों, घोड़ें वालों और पिटठुओं को बचाया जा सके।
* दोनों मार्गों के हर पड़ाव पर पक्के शौचालयों, साईबर कैफे, पीसीओ बूथ व दैनिक आवश्यकता की छोटी-छोटी दुकानों का निर्माण हो, जिससे स्थानीय जनता को रोजगार के साथ-साथ तीर्थयात्रियों को भी जरूरत का सामान साधरण मुल्य पर उपलब्ध हो सके।
* लंगर व भंडारे वालों को हर पड़ाव पर पक्के शैड बनाने की अनुमति दी जाए, जिससे वो वहां भंडारे के समान को सुरक्षित रख सकें व स्वयंसेवक वहां विश्राम कर सकें।
* धार्मिक व सांस्कृतिक संगठनों को यात्रा मार्ग पर धर्मशाला व विश्राम गृह बनाने की अनुमति दी जाए, जिससे वर्षा व भूस्खलन के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के समय तीर्थयात्रियों को खुले आसमान के नीचे मृत्यु व कष्टों से बचाया जा सके। यात्रियों की संख्या को नियंत्रण करने के लिए 10-10 हजार यात्रियों के रुकने के लिए चार स्थानों पर आधार शिविर बनाए जाएं, दुमेल, बालटाल, पहलगांव, चन्दनबाड़ी; इन चार स्थानों पर आधार शिविरों का निर्माण कराया जाए।
* तीर्थयात्रियों के पंजीकरण की सुविधा देश के प्रमुख धार्मिक व सामाजिक संगठनों को दी जाए, ताकि देश के हर गांव व कस्बे के लोगों को सुविधा रहे।
* यात्रा की अवधि दो मास से कम न हो ताकि ग्रीश्मावकाश का लाभ तीर्थयात्री उठा सकें। यात्रियों की संख्या इस वर्ष 6.25 लाख पार कर गई है, जो प्रतिवर्ष बढ़ती ही जायेगी।
* घोड़े, पिट्ठू और पालकी वालों को खुले टेण्डर के माध्यम से सेवा में लगाया जाए, जिससे तीर्थयात्रियों को साधरण दरों पर पंजीकृत संस्थाओं के माध्यम से ये सुविधाएं मिल सकें। यात्रियों का शोषण रोका जाना चाहिये। श्री अमरनाथ श्राइण बोर्ड में सभी स्थाई व अस्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति शिव भक्तों की हो, कोई गैर-हिन्दू कर्मचारी न हो।
* सम्पूर्ण यात्रा मार्ग को अमरनाथ क्षेत्र घोषित किया जाए, जहां पूर्ण शुद्धता रहे एंव संपूर्ण क्षेत्र को श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के हवाले किया जाये, ताकि माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की तरह श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड पूरे क्षेत्र को आवश्यकतानुसार विकसित कर सके।

Sunday 14 August 2011

अगले बरस फिर आना बाबा


डेढ़ महीने चली यात्रा, 6.35 श्रद्धालुओं ने लगाई हाजिरी
श्रीनगर। श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा में शनिवार सुबह पवित्र छड़ी पहुंचने के बाद हुई पूजा-अर्चना के साथ ही इस साल की वार्षिक अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्वक संपन्न हो गई। मुख्य दर्शन की पूजा में श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष राज्यपाल एनएन वोहरा, राज्य की प्रथम महिला उषा वोहरा और श्राइन बोर्ड के सीईओ आरके गोयल समेत कई अन्य अधिकारी शामिल हुए।
 
गौरतलब है कि श्री अमरनाथ जी की वार्षिक तीर्थयात्रा गत 29 जून को शुरू हुई थी। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, श्रावणी पूर्णिमा को रक्षाबंधन की सुबह बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा में छड़ी मुबारक के पहुंचने पर पवित्र हिमलिंग की मुख्य पूजा और दर्शन के बाद गुफा में श्रद्धालुओं का आगमन अगली यात्रा तक बंद हो जाता है। शनिवार सुबह पांच बजे पंचतरणी में पूजा-अर्चना के बाद दशनामी अखाड़ा के प्रमुख महंत दिपेंद्र गिरी पवित्र छड़ी को लेकर पवित्र गुफा के लिए रवाना हुए। छड़ी मुबारक सुबह साढे़ छह बजे बाबा बर्फानी की गुफा में पहुंची। महंत दिपेंद्र गिरी की अगुआई में पवित्र छड़ी के साथ आए साधु महात्माओं ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान भोले शंकर की पूजा-अर्चना में भाग लिया।
 
इस अवसर पर राज्यपाल एनएन वोहरा भी मौजूद थे। पूजा-अर्चना के बाद महंत दिपेंद्र गिरी पवित्र छड़ी मुबारक को लेकर वापस पंचतरणी के लिए रवाना हुए। 14 अगस्त को प्रतिपदा के दिन पवित्र छड़ी पहलगाम पहुंचेगी, जहां 15 को लिद्दर किनारे छड़ी पूजन और यात्रा का विसर्जन होगा। इस बीच, पवित्र गुफा में हुई पूजा-अर्चना में हिस्सा लेने के बाद राज्यपाल ने वहां मौजूद पुलिस, सीआरपीएफ व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने शांतिपूर्वक यात्रा संपन्न कराने के लिए सभी अधिकारियों का आभार जताया। श्राइन बोर्डके सीईओ आरके गोयल ने बताया कि इस साल यात्रियों की तादाद छह लाख पैंतीस हजार से ज्यादा रही है। इस दौरान 107 श्रद्धालुओं की विभिन्न कारणों से मौत हुई। 

गौरतलब है कि यात्रा के लिए पंजीकरण दस मई को शुरू हुआ था और तीन विभिन्न बैंकों के 149 काउंटरों से पंजीकरण किया गया। यात्रा मार्ग में दो सीवरेज प्लांट के अलावा 250 टायलेट स्थापित किए गए थे। यात्रा शुरू होने से दस दिन पहले ही बीएसएनएल की मोबाइल सेवा को पवित्र गुफा तक उपलब्ध करवाया गया था। बोर्ड ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए यात्रा की अवधि को निर्धारित करने के लिए श्री श्री रविशंकर की अध्यक्षता में एक सब कमेटी का गठन किया है जो दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट देगी।

(दैनिक जागरण, 14 अगस्त 2011)

आखिरी जत्था यात्रा पर गया


जम्मू (12 Aug. 2011)। भगवती नगर स्थित आधार शिविर से गुरुवार की सुबह तड़के बाबा बर्फानी के भक्तों का आखिरी जत्था रवाना हुआ। इस जत्थे के साथ तीन महिलाओं समेत कुल 10 भक्त देरशाम बालटाल और पहलगाम पहुंच गए। बालटाल और पहलगाम स्थित आधार शिविरों से गुफा की तरफ रवाना 700 भक्तों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए।

इस बीच, गुरुवार को पवित्र छड़ी मुबारक शिव भक्तों के साथ चंदनवाड़ी से शेषनाग पहुंच गई है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले तीन दिनों में यात्रा मार्ग पर बारिश होने की संभावना है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आरके गोयल ने भक्तों से मौसम की जानकारी लेकर और स्वास्थ्य जांच के बाद ही यात्रा शुरू करने की सलाह दी है।

गुरुवार की सुबह तड़के 10 भक्तों को लेकर श्री अमरनाथ यात्रा (2011) का आखिरी जत्था रवाना हुआ। बाबा बर्फानी के जयघोष के साथ जत्था रवाना होते ही आधार शिविर में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने भी राहत की सांस ली है। स्वास्थ्य विभाग, बिजली और पीएचई विभाग के तैनात मुलाजिमों ने भी अपने अस्थायी कैंप हटा लिए हैं। बालटाल और पहलगाम आधार शिविर से सुबह गुफा की तरफ रवाना हुए 700 भक्तों देरशाम पवित्र गुफा में पूजा अर्चना की।

बालटाल मार्ग से 525 तीर्थयात्री और पहलगाम स्थित नुनवान आधार शिविर से 167 भक्त रवाना हुए थे। छड़ी मुबारक पंपोर, बिजबिहाड़ा, मार्तन्ड़ और पंचतरणी होते हुये रक्षा बंधन के दिन अमरनाथ गुफा पहुंचेगी और इसके साथ ही इस तीर्थ यात्रा का विधिवत समापन होगा। दशनामी अखाडे़ के महंत दीपेंद्र गिरि छड़ी मुबारक का नेतृत्व कर रहे हैं। (अमर उजाला)

तीर्थयात्रियों के लिए कुछ खास सुझाव



अमरनाथ यात्रा के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी है। रास्ते की परिस्थितियां बदलती रहती हैं। यात्रा करते समय तीर्थयात्रियों को इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कुछ नियम और कानूनों का पालन करना होता है जो प्रशासन और खुद यात्रियों के लिए अच्छा होता है।

क्या करें -

1. सबसे पहले यह देख लें कि आप 13600 फीट ऊपर चढ़ने के लिए व यात्रा करने के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूरी तरह फिट हैं या नहीं। रजिस्टे्रशन से पहले आपको मेडिकल प्रमाण-पत्र भी जमा करवाना पड़ता है। स्वस्थ लोगों को ही यात्रा की अनुमति दी जाती है।

2. ऊंचाई पर होने के कारण अमरनाथ काफी ठंडा प्रदेश है। इसलिए आप अपने साथ गर्म कपड़े जैसे - स्वैटर, मफलर, मंकी कैप, ट्राउजर जरूर लेकर जाएं। दूसरी जरूरी वस्तुएं जैसे विंड चिटर, रेनकोट, स्लीपिंग बैग, कंबल, वाटर प्रूफ जूते, छोटा सा टेंट, टार्च और चलने में सहयता के लिए एक छड़ी जरूर रख लें। औरतों को साड़ी पहनने की बजाय सलवार सूट या पैंट को प्रमुखता देनी चाहिए। इससे चढ़ाई में आसानी होती है।

3. अपने साथ खाने वाली सूखी वस्तुएं जैसे बिस्कुट, टॉफी-चॉकलेट, मिल्क पाउडर, डिब्बा बंद खाने की चीजें, बिना तेल के अचार आदि लेकर जाएं। पानी की बोतल, डिस्पोजेबल प्लेटें व चम्मच आदि भी ले जा सकते हैं। खाना बनाने के लिए राशन एवं जलाने के लिए लकड़ियां रास्ते में आसानी से उपलब्ध हैं। इसलिए इन्हें लेकर नहीं चलें। किसी भी परेशानी से बचने के लिए आप सुरक्षा बल एवं श्राइन हेल्प बोर्ड के संपर्क में ही रहें।

4. अनुशासन में रहकर ही चढ़ाई करें एवं चाल एकदम धीमी रखें, क्योंकि अमरनाथ यात्रा के दौरान काफी कठिन चढ़ाई करनी होती है। पहलगाम में ठहरने के लिए व अन्य जरूरतों के लिए पर्याप्त धन अपने साथ लेकर चलें। यात्रा के दौरान सभी डॉक्टरी सुविधाएं सरकार द्वारा मुफ्त दी जाती हैं।

5. हमेशा अपनी जेब में एक पर्ची रखें, जिसमें आपका नाम, पूरा पता, फोन नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा हो।
6. अपनी त्वचा की रक्षा के लिए कोल्ड क्रीम हमेशा अपने साथ रखें।
7. ग्लूकोज, डिस्प्रीन जैसी कुछ जरूरी दवाएं हमेशा अपने साथ रखें।


क्या न करें ः
अमरनाथ यात्रा के दौरान आपको कई सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। यात्रा के दौरान क्या न करें, इसकी जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है।

1. किसी भी तरह के नशे पर पूरी तरह पाबंदी है। इसलिए भूल कर भी नशा न करें।
2. खड़ी ढाल वाली पहाड़ी पर चढ़ने से बचें।
3. जहां चेतावनी भरे बोर्ड लिखे हों वहां कभी भी आराम के लिए न रुकें।
4. यातायात और यात्रा के नियमों को कभी न तोड़ें।
5. जिस चीज के लिए पहले से ही रेट तय हो उसके लिए उससे ज्यादा भुगतान न करें।
6. सामान्य जूते व चप्पल पहनकर चढ़ाई कभी न करें।
7. लावारिस वस्तुओं को कभी हाथ न लगाएं। शंका होने पर तुरंत सुरक्षाकर्मियों से संपर्क करें।
8. चढ़ाई के दरम्यान अधिक खाना न खाएं।

कैसे पहुंचें शिव के धाम



शिव के धाम अमरनाथ जाने वाले श्रद्घालुओं को सबसे पहले पंजीकरण करवाना पड़ता है। यह हमेशा ध्यान रखें कि बीमार व्यक्तियों का पंजीकरण नहीं होता है। बिना पंजीकरण के आप अमरनाथ यात्रा पर नहीं जा सकते हैं। पंजीकरण के दौरान निम्नलिखित प्रक्रियाएं होती हैं -
1. सबसे पहले जिस दिन यात्रा करनी होती है, उस दिन की उपलब्धता की जांच होती है।
2. प्रत्येक बुकिंग पर अधिकतम पांच यात्रियों का पंजीकरण हो सकता है।
3. प्रत्येक यात्री को यात्रा के लिए 15 रुपये शुल्क के तौर पर जमा करना होता है।
4. यात्रियों की पूरी जानकारी फॉर्म में भरनी पड़ती है।
5. बीमा के लिए नॉमिनी की जानकारी देनी होती है।
6. फॉर्म में सही ईमेल एड्रेस डालें, जिससे आपको समय-समय पर जानकारी मिल सके।
7. पंजीकरण के समय स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र जमा करना पड़ता है। इसके बिना पंजीकरण संभव नहीं है।


वायु मार्ग से
अमरनाथ धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्घालु वायु मार्ग का भी सहारा ले सकते हैं। इस स्थल का निकटतम हवाई अड्डा श्रीनगर है। श्रीनगर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। यहां डल झील, नगिना झील, शंकराचार्य मंदिर, मुगल गार्डन आदि विख्यात दर्शनीय स्थल हैं। वायु मार्ग से जाने वाले श्रद्घालु श्रीनगर की भी सैर करते हैं। यहां दिल्ली और जम्मू से सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग से
रेल मार्ग से अमरनाथ धाम जाने वाले श्रद्घालु रेलमार्ग का भी सहारा ले सकते हैं। जम्मू निकटतम रेलवे स्टेशन है। इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। यहां रघुनाथ मंदिर, महादेव मंदिर जैसे विख्यात मंदिर हैं। दिल्ली से जम्मू के लिए राजधानी एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, शालीमार एक्सप्रेस, पूजा एक्सप्रेस, जम्मू तवी एक्सप्रेस के साथ देश के विभिन्न शहरों से कई रेलगाड़ियां चलती हैं। इसके बाद सड़क मार्ग का सहारा लेना पड़ता है।

सड़क मार्ग से
जम्मू पहुंचने के लिए दिल्ली से कई बसें उपलब्ध हैं।। साथ ही अमृतसर, पठानकोट से भी बसें आसानी से उपलब्ध हैं। जम्मू से पहलगाम या बालटाल जाने के लिए भी सरकारी बसें उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप टैक्सी रिजर्व करके भी आसानी से मनोरम वादियों को पार करते हुए पहलगाम और बालटाल तक पहुंच सकते हैं।

Friday 12 August 2011

तीर्थस्थल होंगे श्राइन बोर्ड के अधीन : राज्यपाल


श्रीनगर। सीमावर्ती जिला पुंछ में स्थित श्री बुड्ढा अमरनाथ व जिला रियासी में स्थित शिवधाम शिवखोड़ी समेत राज्य के विभिन्न पौराणिक तीर्थस्थलों के विकास के लिए श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तर्ज पर ही बोर्ड बनाए जाएंगे या उन्हें मौजूदा बोर्ड के अधीन लाया जाएगा। यह यकीन वीरवार को श्री अमरनाथ व श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष राज्यपाल एनएन वोहरा ने दिलाया। वह यहां जब्रवान की पहाडि़यों के बीच स्थित ज्येष्ठा देवी के मंदिर में श्री बुड्ढा अमरनाथ यात्री न्यास द्वारा प्रकाशित पुस्तक प्रत्यविज्ञा के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। बाबा अमरनाथ व राज्य विशेषकर घाटी के मंदिरों के इतिहास को संजोए प्रत्यविज्ञा पुस्तक का संपादन ललित बिहारी गोस्वामी ने किया है।

राज्यपाल ने कहा कि तीर्थस्थलों के बोर्ड के अधीन होने से इन इलाकों में तीर्थाटन पर्यटन की सुविधाओं को भी सुनियोजित तरीके से बढ़ाया जाएगा। यह स्थानीय लोगों के आर्थिक विकास में भी सहयोग करेंगे। इस मौके पर बोर्ड के सीईओ आरके गोयल व विहिप प्रधान डॉ. रमाकांत दूबे के अलावा अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। 

(दैनिक जागरण, 12 अगस्त 2011)

Wednesday 10 August 2011

89 pilgrims leave for Amarnath in 42nd batch


JAMMU (10 Aug. 2011) : The 42nd batch of pilgrims comprising 89 people today left for the Amarnath yatra from here amid tight security, police said. As many as 50 men, 12 women, 2 children and 25 sadhus left from the Bhagwati Nagar base camp here around 0500 hours this morning in a cavalcade of 4 vehicles for the 13,500-feet high cave shrine situated in south Kashmir Himalayas.


With today’s batch, as many as 79,119 pilgrims have left Jammu in 42nd batches for their onward journey to the holy cave. (AGENCIES)


http://www.dailyexcelsior.com/

89 श्रद्धालुओं का जत्था अमरनाथ के लिए रवाना


जम्मू। जम्मू के भगवती नगर स्थित बेस कैंप से बुधवार सुबह पाच बजे 89 श्रद्धालुओं का जत्था अमरनाथ के पवित्र गुफा के लिए रवाना हुआ।
पुलिस ने बताया कि पवित्र गुफा के लिए रवाना हुए 42वें जत्थे में 50 पुरूष, 18 महिलाएं, दो बच्चे और 25 साधु शामिल थे। कड़ी सुरक्षा के बीच श्रद्धालुओं का यह जत्था पाच गाड़ियों के काफिले में गया।

जम्मू से बुधवार को रवाना हुए 42वें जत्थे के साथ ही भगवती बेस शिविर से अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़कर 79,119 पहुंच गई है।

(दैनिक जागरण/ 10 अगस्त 2011)

Thursday 4 August 2011

36th batch of 507 pilgrims leave for Amarnath


JAMMU : The 36th batch of 507 pilgrims today left for the Amarnath yatra from here amid tight security, police said. As many as 321 men, 77 women, 10 children and 99 sadhus left from the Bhagwati Nagar base camp here around 0500 hours this morning in a cavalcade of 16 vehicles for the 13,500-feet high cave shrine situated in south Kashmir Himalayas.

With today’s batch, as many as 77,666 pilgrims have left Jammu in 36th batches for their onward journey to the cave shrine. Meanwhile, third batch of 916 pilgrims today left from here to Budha Amarnath in Mandi tehsil of Poonch district.

The batch comprising 588 male, 311 females and 17 children left in a fleet of 24 vehicles from the base camp at Bhagwati Nagar around 0545 hours this morning, police said, adding the pilgrims have crossed SunderBani area of Rajouri district. (AGENCIES)

(Courtesy : Daily Excelsior, 4/8/2011)

Wednesday 3 August 2011

बुड्ढा अमरनाथ यात्रा शुरू


जम्मू। बम-बम भोले और जय बाबा चट्टानी के जयघोष के बीच मंगलवार सुबह बाबा बुड्ढा अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था यात्री निवास से पुंछ की लोरन मंडी (राजपुरा) के लिए रवाना हुआ। डिवीजनल कमिश्नर डॉ. पवन कोतवाल ने जत्थे को हरी झंडी दी। जत्थे में उड़ीसा, मेरठ, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, हरियाणा व जम्मू के भी श्रद्धालु शामिल थे। पहले जत्थे के यात्री बुधवार सुबह पवित्र स्थल के दर्शन करेंगे। जत्थे की रवानगी से पूर्व शिव आराधना की गई और ध्वज पूजन किया गया।
इसके बाद नारियल तोड़कर मंगलमय यात्रा की कामना की गई। इस मौके पर बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक सुभाष चौहान व महंत रामस्वरूप भी उपस्थित रहे। श्रद्धालुओं में अच्छा खासा उत्साह देखने को मिला। श्रद्धालुओं में अधिकांश वे थे जो पहली बार यात्रा कर रहे हैं। यात्रा प्रमुख नंद किशोर मिश्रा यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। इस मौके पर डिवीजनल कमिश्नर डॉ. कोतवाल ने कहा कि यात्रा के लिए प्रशासन हर संभव सहयोग करेगा। उन्होंने भगवती नगर स्थित यात्री निवास कांप्लेक्स का निरीक्षण कर श्रद्धालुओं के लिए किए जा रहे बंदोबस्त का भी जायजा लिया।
(Courtesy : Dainik Jagran, 03 August 2011)

Tuesday 2 August 2011

जम्मू-कश्मीर की यात्रा परम्परा


अजय भारती 
भारत धर्म प्रधान देश है। यहां अति प्राचीन काल से ही समाज ने अपनी विकास यात्रा के अनुभवों को सामाजिक एवं धार्मिक स्वरूप देकर दैनिक जीवन का अंग बनाया। देव स्थान, तीर्थस्थान, तीर्थ यात्रा इन्हीं अनुभवों के कारण भारतीय समाज जीवन का एक प्रमुख अंग बन गया। व्यक्तिगत, पारिवारिक तथा सामाजिक एवं राष्ट्रीय हितों का अनोखा समावेश तथा सकारात्मक क्रिया का अद्वितीय समागम है, तीर्थ यात्रा में।

देश के कोने-कोने में फैले तीर्थस्थान समाज के प्रत्येक अंग को आस्था एवं विश्वास की डोर में बांधकर अपनी ओर खींच लेते हैं। साधारण से साधारण भारतीय अधिक से अधिक तीर्थ स्थलों पर दर्शनार्थ जाने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। बहुत बड़ी संख्या में लोग घरों से निकलते हैं और भौगोलिक दूरी, दुर्गम मार्गों की कष्टदायक यात्रा को हंसते हुए झेलने की तत्परता तथा बिना किसी भेदभाव के इन तीर्थ स्थलों पर पहुंच जाते है।

देश के अन्य क्षेत्रों के समान ही जम्मू-कश्मीर के पवित्र तीर्थ स्थल भी देश विदेश के श्रद्धालुओं को अति प्राचीन काल से अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं। जम्मू कश्मीर पर प्रभू हर प्रकार से मेहरबान रहा है। वह प्राकृतिक सौन्दर्य हो या यहां की जलवायु, हिममण्डित पर्वत शिखर हो या स्वच्छ जल से लबालब भरे झील झरने, फल फूलों की अनगिनित किस्मों के साथ-साथ रूह को ताजा करने वाली हवा के झोकें आध्यात्मिक उत्थान के लिए हर प्रकार से उपयुक्त स्थान बना देते हैं।

तभी तो देवादिदेव महादेव ने अमरनाथ गुफा को माता पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए चुना। बाबा अमरनाथ ही नहीं जम्मू कश्मीर में कोई ऐसा स्थान नहीं है जो अपने आप में तीर्थ न हो। हर गांव, हर शहर किसी न किसी महापुरूष के साथ जुड़ा है तथा लोगों के आस्था का केन्द्र बना हुआ है।

जम्मू-कश्मीर का नाम आते ही दो यात्राएं सहज ही सामने आते हैं। यह दोनों नाम एक प्रकार से जम्मू-कश्मीर के पर्यायवाची हो गये हैं। इनमें से एक है, त्रिकुटा पर्वत शिखरों में आसीन माँ वैष्णव का पवित्र धाम वैष्णव देवी है तथा दूसरा जोजिला की दुर्गम पहाड़ी श्रृंखला पर स्थित बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा की यात्रा है। आज शायद की कोई ऐसा भारतीय होगा जो इन नामों से परिचित न हो।

माता वैष्णव देवी का तो यह आलम है कि 12 महीने, 24 घंटे, सातो दिन, यहां देश के कोने-कोने से आए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। जम्मू जोने वाली किसी भी रेलगाड़ी, हवाई जहाज या निजी वाहनों से जाने वालों का 80-90 प्रतिशत भाग वैष्णव देवी के दर्शनार्थ जाता है। हर प्रांत, हर जाति, हर मत को मानने वाले एक साथ ‘‘जय माता दी’’ का जयघोष सामूहिक रूप से लगाते हुए एक दूसरे की सहायता करने को तत्पर रहते हैं। भंडारों पर एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते भक्तों की इस न टूटने वाली श्रृंखला के कारण राज्य के आर्थिक विकास में अतुल्य योगदान तो होता ही है, साथ में राष्ट्रीय विचारों का प्रचार और प्रसार भी होता है।

भक्तों की संख्या की बढ़ोतरी का सीधा परिणाम ‘‘माता वैष्णव देवी श्राइन बोर्ड’’ की आमदनी में पर पड़ता है। जिसके परिणामस्वरूप आज राज्य में महत्वपूर्ण शिक्षा संस्थान माता वैष्णव देवी विश्वविद्यालय के रूप में उपस्थित हैं। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि राष्ट्रीय एकता को इस प्रदेश में और सुदृढ़ करने में एक मील का पत्थर साबित हो रही है।

राज्य में दूसरी प्रसिद्ध यात्रा है- बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा में प्राकृतिक रूप से बनने वाला हिम-शिवलिंग। कृष्ण पक्ष में घटने वाली तथा शुक्ल पक्ष में निरन्तर बढ़ते हुए पूर्णमासी को पूर्णतयः विकसित हिम-शिवलिंग के दर्शन मात्र से शिव भक्तों को असीम संतोष प्राप्त होता है। गत दो दशकों में जब जम्मू-कश्मीर राज्य विषेशकर कश्मीर घाटी में अलगाववादियों द्वारा आयोजित तथा पाकिस्तान व अन्य इस्लामी ताकतों द्वारा प्रायोजित व पोषित सशस्त्र आतंकवाद चरम सीमा पर था और हर दिन कश्मीर घाटी को शेष भारत से जोड़ने वाले हर चिन्ह, हर संबंध को कमजोर करने का प्रयास तेज होता जा रहा था, ऐसे में अमरनाथ यात्रा कैसे बची रहती, अलगाववादियों तथा आतंकवादियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी इस यात्रा को बन्द करने की।

यात्रियों पर आतंकी हमले, राज्य सरकार में अलगाववाद समर्थक तत्वों द्वारा प्रशासनिक अड़चनें उत्पन्न करना, औरंगजेब के समय की याद दिलाने वाले जजिया, सुविधा को देने के स्थान पर प्रकार-प्रकार की समस्या उत्पन्न करना, ऐसा हर हथकंडा अजमाया गया। यात्रा को प्रतीकात्मक स्वरूप तक सीमित रखने के लिए हर प्रकार का दबाव बनाया गया, जो अभी तक जारी है। परंतु शिव भक्तों के आस्था और विश्वास के आगे किसी की नहीं चली।

जो यात्रा कभी मात्र कुछ हजार यात्रियों तक ही सीमित थी वही अब लाखों तक हो गई है। यह लाखों शिवभक्त जो भारत के विभिन्न प्रांतों से आते हैं, 8-10 दिन कश्मीर घाटी में गुजारते हैं। हर परिवार औसतन 15-20 हजार रूपये खर्च करता है। यह सारा पैसा घाटी की गरीब जनता के लिए रोजगार के साधन उत्पन्न करते हैं। फिर वह आतंकियों व अलगाववादियों के बहकावे में आने के स्थान पर मेहनत और इज्जत की रोटी कमाने में लग जाते हैं। स्पष्ट दिखाई देता है कि जिन दो महीनों में अमरनाथ यात्री कश्मीर घाटी में होता है उन दिनों यात्रा मार्ग पर रहने वाले कट्टरपंथियों के प्रभाव से बाहर हो जाते हैं। होटल हो या घोड़े वाला, शाल वाला हो या टैक्सी चालक, हर व्यक्ति यात्रियों का स्वागत जय भोला भण्डारी, जय बाबा अमरनाथ के नारों से करते हैं।

यही बात अलगाववादी नेताओं और उनके आकाओं को रास नहीं आती तथा वह इस यात्रा का और जोर शोर से विरोध करते हैं। कट्टरपंथी तो इसे ‘‘हिन्दू भारत का सांस्कृतिक हमला’’ बताते हैं। अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि के प्रति सावधान नेता यही विरोध पर्यावरण की रक्षा के नाम पर करते हैं।

भारत विरोधी ताकतों के बढ़ते विरोध के साथ उस से भी अधिक प्रभावी ढ़ंग से हर वर्ष यात्रा का आयोजन देश के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती जा रही है। अमरनाथ भूमि आंदोलन तथा उसमें अन्ततः आस्था की विजय देश के इतिहास में एक अति महत्वपूर्ण घटना है।

अमरनाथ यात्रा के समान ही पाक अधिकृत कश्मीर स्थित शारदा मंदिर की यात्रा भी एक महत्वपूर्ण यात्रा है। यह तीर्थ स्थान अति महत्वपूर्ण एवं एतिहासिक है। इसी के कारण इस प्रदेश का नाम शारदा देश पढ़ गया। यहां एक विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था। इस तीर्थ की यात्रा 1947 के पाक आक्रमण के कारण रूक गई। किंतु हिन्दू समाज द्वारा यह मांग निरंतर उठाई जाती रही है। इस यात्रा को अनुमति न देने से पाकिस्तान और यहां की हिन्दू हितों की अनदेखी करने वाली सरकार का साम्प्रदायिक चेहरा बेनकाब हो गया है।

कश्मीर घाटी स्थित मां राज्ञा (क्षीर भवानी) की यात्रा एक और महत्वपूर्ण यात्रा है। नसलकसी की शिकार कश्मीर घाटी के अल्पसंख्यक समुदाय जो अपने घर गांव या कस्बे में जाने से कांपते है वह तुलमुल्ला जाकर मां क्षीर भवानी के दरबार में उपस्थित होने के लिए हर जोखिम उठाने को तैयार हो जाते है। स्मरणीय है कि जब नाडी मार्ग में रह रहे 36 पंडितों में 24 लोगों का सामूहिक नरसंहार हुआ, उसके तुरंत बाद होने वाली यात्रा में भी रिकार्ड संख्या में यात्री गये।  
चिनाब नदी के तट पर स्थित पाडर क्षेत्र रमणीय है। इसी क्षेत्र में माता चण्डी का पवित्र तीर्थ समुद्र तट से 9500 फीट की ऊंचाई पर मच्चेल गांव में है। जम्मू शहर से लगभग 320 किमी. की दूर पर इस गांव में जाने के लिए अठोलो स्थान से 31 किमी. पैदल यात्रा करनी पड़ती है। इस यात्रा के कारण की पाडर जैसे क्षेत्र का पिछड़ापन नगरवासियों के सामने आते हैं। इस क्षेत्र के भोले भाले लोगों का बाहरी दुनिया से संपर्क का यह एक अहम माध्यम है।

शिवखोडी की एक अन्य महत्वपूर्ण यात्रा भी जम्मू क्षेत्र में है। इस यात्रा पर गत वर्ष लगभग 8 लाख यात्रियों ने यात्रा की। शिवखेड़ी रियासी जिला में पोनी स्थान के समीप है। इस यात्रा पर जाने वाले यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखकर एक बोर्ड का गठन किया गया है। यह यात्रा भी राज्य के इस दुर्गम क्षेत्र को तथा यहां की जनता को शेष देश व समाज के सक्रिय संपर्क में लाता है।

परंतु जम्मू कश्मीर की यात्राओं का विशय सिन्धु दर्शन यात्रा का जिक्र किये बिना पूरा नहीं हो सकता। लद्दाख क्षेत्र को यह सौभाग्य प्राप्त है कि भारत की पहचान का एक सशक्त चिन्ह सिन्धु नदी यहां से ही बहती है। भारत विभाजन की त्रास्दी में सिन्धु नदी का भारतीय क्षेत्र में न आना भी है।

विश्व की सबसे लम्बी नदी सिन्धु, जिसके कारण भारत को ‘‘हिन्दूस्थान’’ का नाम मिला। वास्तव में हजारों वर्षों की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पहचान की सबसे बड़ी साक्ष्य है। सिन्धु दर्शन यात्रा हर वर्ष 1 से 3 जून तक लेह में आयोजित की जाती है।

लद्दाख क्षेत्र की बौद्ध संस्कृति से देशवासियों को परिचित कराने तथा सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण क्षेत्र पर भारत के वीर सैनिक कैसी कठिन परिस्थिति में देश की रक्षा करते हैं। इसका अनुभव कराने में सिन्धु दर्शन यात्रा एक आंदोलन के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त कर रही है। यद्यपि यह यात्रा 1997 में प्रारंभ हो गयी, किंतु इस थोड़े से समय में इसके परिणाम स्पष्ट रूप से लद्दाख क्षेत्र में देखने को मिलते है। जो बौद्ध समाज आपेक्षित अनुभव कर रहा था वह अब भारतीय समाज का अभिन्न अंग मानने में गर्व का अनुभव कर रहा है।

कुल मिलाकर जम्मू-कश्मीर की ये तीर्थ यात्राएं पृथकतावादी तथा पाकिस्तानी षड़यंत्रों के साये में पली यहां की जनता को शेष देश तथा समाज के नजदीक लाने में तथा सहस्त्रों वर्ष के सहअस्तित्व को उजागर करने में प्रमुख योगदान दे रही है। इन यात्राओं के कारण भारतीय समाज को इस महत्वपूर्ण प्रदेश की वास्तविकताओं से भी परिचय हो जाता है।  

(लेखक जम्मू कश्मीर विचार मंच के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अध्यक्ष हैं।)


अमरनाथ उप समिति में कश्मीरी पंडितों को शामिल नहीं करने का विरोध


24 Jul 2011
श्रीनगर। कश्मीरी पंडितों की एक संस्था ने अगले वर्ष की अमरनाथ यात्रा की अवधि तय करने के लिए गठित उप समिति में अपने समुदाय के किसी भी सदस्य को शामिल नहीं किए जाने को लेकर श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की आज कड़ी आलोचना की।

ऑल पार्टी माइग्रेंट को-ऑपरेशन कमेटी (एपीएमसीसी) के अध्यक्ष विनोद पंडित ने कहा, ' अमरनाथ यात्रा प्रबंधन से कश्मीरी पंडितों को बाहर रखने की यह चाल सोची - समझी रणनीति का हिस्सा है।' 
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने अगले वर्ष दक्षिण कश्मीर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन की अवधि तय करने के लिए गत शुक्रवार को आर्ट आफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में एक उप समिति का गठन किया था। (नवभारत टाइम्स)

6 लाख श्रद्धालुओं ने की अमरनाथ यात्रा

श्रीनगर (26 July 2011)। जम्मू एवं कश्मीर में एक महीने से भी कम समय के भीतर लगभग 6,00,000श्रद्धालु अमरनाथ की पवित्र यात्रा पूरी कर चुके हैं। मौसम विभाग ने हालांकि कुछ दिनों के भीतर बारिश होने की सम्भावना जताई है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अमरनाथ यात्रा उत्तरी कश्मीर के बालतलऔर दक्षिणी कश्मीर के पहलगाममार्ग से अब तक शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई है। अभी तक तकरीबन छह लाख तीर्थयात्री यह पवित्र यात्रा पूरी कर चुके हैं। यह तीर्थयात्रा 29जून को शुरू हुई थी और 13अगस्त को समाप्त होगी।
मौसम विभाग के मुताबिक 25से 29जुलाई के बीच पहलगामऔर बालटतलके पर्वतीय मार्ग पर सामान्य से लेकर तेज बारिश हो सकती है। उन्होंने बताया कि तीर्थयात्रियों को सलाह दी गई है कि इन दिनों पहलगामया बालटालरास्ते से गुफाकी तरफ आगे बढने से पहले मौसम विभाग की सलाह पर जरूर ध्यान दें। अधिकारी ने बताया कि इस बार पवित्र गुफाके भीतर लगभग पांच फुट ऊंचा बर्फ का शिवलिंगबना हुआ है।

अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमला विफल

 
नई दिल्ली (30 Jul 2011) सुरक्षा बलों ने शनिवार को अमरनाथ यात्रा पर एक बड़े आतंकी हमले की साजिश को विफल कर दिया। आतंकियों ने तीर्थयात्रियों को लेकर लौट रही बस में विस्फोटक रखे थे। सुरक्षाबलों ने इनका समय रहते पता लगा लिया।

जानकारी के मुताबिक तीर्थयात्रियों को लेकर एक बस अमरनाथ से वापस लौट रही थी। सीआरपीएफ के जवानों को जांच के दौरान बस में तीन आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) मिले। जवानों ने तुरंत बस को खाली करवाकर विस्फोटकों को निष्क्रिय कर दिया।

लश्कर के निशाने पर यात्रा
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय पहले ही अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले की आशंका जता चुका है। कुछ दिन पहले मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर सरकार को आगाह किया था कि अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर और ज्यादा सतर्कता बरती जाए। गृह मंत्रालय को खुफिया जानकारी मिली है कि सरकार की सख्ती के मद्देनजर आतंकी यात्रियों को निशाना बना सकते हैं। इसके बाद सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट कर दिया था। गृह मंत्रालय को यह जानकारी मिली है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा यात्रियों पर आत्मघाती हमला कराना चाहता है

गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में अशांति की मुख्य वजह अमरनाथ यात्रा में बाधा डालना भी है। अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मुखिया अली शाह गिलानी ने यात्रा की शुरुआत के समय यह ऐलान किया था कि इसकी अवधि कम की जानी चाहिए। गिलानी ने सार्वजनिक बयान दिया था कि अगर यात्रा की अवधि घटाकर 15 दिन नहीं की गई तो वह उसके विरोध में सड़कों पर उतरेगा।

पवित्र शिवलिंग पूरी तरह से पिघला, बाबा ने एक महीने तक ही दिए भक्तों को दर्शन

| Comment
श्री अमरनाथ
  जम्मू. इस वर्ष बाबा बर्फानी सिर्फ एक महीने तक ही भक्तों को दर्शन दे पाए। शनिवार को पवित्र शिवलिंग पूरी तरह से पिघल गया। अमरनाथ की यात्रा 29 जून से शुरू हुई थी। इसके एक सप्ताह बाद ही हिमलिंग के पिघलने का सिलसिला शुरू हो गया था। इस वर्ष पवित्र हिमलिंग 16 फुट का बना था। 10 दिन पहले यह करीब 10 फुट था। लेकिन इसके बाद यह तेजी से पिघला।
अभी और चलेगी यात्रा : श्राइन बोर्ड के सीईओ आरके गोयल ने बताया कि पवित्र हिमलिंग पूरी तरह से पिघल गया है। लेकिन यात्रा चलती रहेगी। यह हर वर्ष होता है। इस वर्ष एक माह में ही छह लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। शनिवार को अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू से 793 श्रद्धालुओं का जत्था रवाना हुआ। यात्रा आधिकारिक रूप से रक्षाबंधन तक चलेगी।

यात्रा का एक महीना पूरा, 6.10 लाख ने किए दर्शन



Baba Amarnath
जम्मू (29 July 2011)। अमरनाथ यात्रा शुरू हुए वीरवार को एक महीना हो गया जबकि शुक्रवार को बाबा के दर्शन करने वालों को एक महीना हो जाएगा। वीरवार को बाबा बर्फानी के दर्शन करने वालों की संख्या छह लाख के पार हो गई।

अब तक करीब 6.10 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। पवित्र गुफा के पास मौसम में बदलाव से भी हिमलिंग तेजी से पिघल रहा है।

वीरवार को एक और जत्था रवाना हुआ। ऐसा माना जा रहा है कि अब बाबा बर्फानी के दर्शन दो-तीन दिन ही होंगे। दिन ब दिन यात्री करने वालों की संख्या कम हो रही है। वीरवार को करीब 8 हजार यात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए।

दो फुट रह गया हिमलिंग : पिछले कुछ दिनों से पवित्र गुफा के पास मौसम बदल गया है। रात को बादल छाए रहते हैं, जबकि दिन में धूप खिली रहती है। बादल छाए रहने से रात का तापमान भी बढ़ गया है। इसकी वजह से हिमलिंग पिघल रहा है।

पिछले कई दिनों से बारिश होने की संभावना तो जताई गई, लेकिन बारिश नहीं हो रही। गुफा के आसपास भी बर्फ पिघल गई है। बताया जा रहा है कि हिमलिंग करीब दो से अढ़ाई फुट रह गया है, जो शायद एक तारीख तक पूरी तरह से पिघल जाए।

यात्रा का एक और जत्था रवाना : वीरवार को श्री अमरनाथ यात्रा के लिए और जत्था रवाना हुआ। इसमें कुल 1000 यात्री शामिल थे। जत्थे में 589 पुरुष, 130 महिलाएं, 12 बच्चे और 269 साधु शामिल हैं। यह अब तक का सबसे कम जत्था है।