Wednesday 28 September 2011

भवन से भैरो मंदिर तक बनेगा रोप-वे


जम्मू, 24 सितम्बर 2011। देश-विदेश से माता वैष्णो देवी आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक अच्छी खबर। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने भवन से भैरो मंदिर तक पैसेंजर रोप-वे और सियार दबडी से भवन तक मैटीरियल रोप-वे प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। इन दोनों प्रोजेक्ट पर 65 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। नई दिल्ली में शुक्रवार को श्राइन बोर्ड के चेयरमैन व राज्यपाल एनएन वोहरा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में रोप-वे प्रोजेक्टों को मंजूरी दी गई। कटड़ा-रियासी मार्ग पर स्थित डीडी गांव में सियार दबडी से भवन तक मैटेरियल रोप-वे पर दस करोड़ रुपये जबकि भवन से भैरो मंदिर तक बनने वाले पैसेंजर रोप-वे पर 55 करोड़ रुपये खर्च आएगा। दोनों का काम दो वर्ष  में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। भवन से भैरो मंदिर की दूरी करीब दो किलोमीटर है, यकीनन इस प्रोजेक्ट से भक्तों का लाभ होगा। सूत्रों की मानें तो बोर्ड की भवन से अ‌र्द्धकुंवारी, अ‌र्द्धकुंवारी से शंकराचार्य मंदिर और शंकराचार्य मंदिर से कटड़ा तक रोप-वे बनाने की भी योजना है। करीब तीन घंटे तक चली बैठक में यात्रा प्रबंधन और तीस अगस्त से शुरू हुए रजत जयंती समारोह पर भी चर्चा हुई। इसमें बाण गंगा से लेकर भवन तक चल रहे सफाई कार्य, पूरे मार्ग पर अतिरिक्त शौचालय, बोर्ड के कर्मचारियों और उनके बच्चों के लिए योजनाएं शुरू करना शामिल है। बैठक में यह भी बताया गया कि यात्रा मार्ग व आसपास के क्षेत्रों में पौधरोपण पर जोर दिया गया है। अ‌र्द्धकुंवारी से भवन के बीच इमरजेंसी हेलीपैड बनाने पर भी चर्चा की गई। कई बार यात्रियों को मार्ग में इमरजेंसी स्वास्थ्य सुविधा की जरूरत पड़ती है। यही नहीं, बाणगंगा से भवन तक स्थित सभी स्वास्थ्य केंद्रों में आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर जोर दिया गया। बोर्ड ने घोड़ों की लिद से प्रस्तावित बायो गैस प्लांट, छह सोलर पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने पर भी विचार किया। बैठक में ई श्रीधरन, डॉ. एसएस बलोरिया, सुधा मूर्ति, पदमा सचदेव, आरके गोयल व डॉ. मंदीप भंडारी भी मौजूद थे।

अमरनाथ यात्रा : राष्ट्रीय एकता का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ

डॉ. सुरेंद्र जैन  
आज कश्मीर एक बार फिर से चर्चा में है। हमेशा की तरह इस बार भी यह चर्चा गलत कारणों से है। दुर्दान्त आतंकवादी अफजल गुरू की फांसी की सजा के विरोध में न केवल धमकियां देकर देश को आतंकित किया जा रहा है अपितु दिल्ली में उच्च न्यायालय के परिसर में बम विस्फोट कर अपनी धमकियों को कार्यान्वित करने की  क्षमता का परिचय भी दे दिया है।
पहले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीटर पर इस सम्बंध में अपनी रणनीति का स्पष्ट संकेत दिया था। ट्वीट का अर्थ होता है चिड़िया का चहकना; परन्तु यह चहकना नहीं, बर्बादी की घोषणा थी। इसके तुरन्त बाद एक विधायक नें अफजल को माफ करने का प्रस्ताव विधानसभा में रख दिया। इसके बाद अफजल के समर्थन में पूरे राष्ट्र को आतंकित करने के लिये देश की राजधानी में विस्फोट कर एक दर्जन से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 90 लोगों को घायल कर दिया। भारत के विरोध में 13 जुलाई 1931 से शुरू हुआ यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। उस समय भी जब देश अन्ग्रेजों को भारत से भगाने की तैय्यारी कर रहा था तब वहां के हिन्दू समाज और देशभक्त राजा के खिलाफ षड्यंत्र किये जा रहे थे। उसके बाद से शुरू हुआ यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आतंकी घटनाएं बढती जा रही हैं। ऐसा दिखाया जा रहा है मानों सम्पूर्ण घाटी भारत से अलग होने के लिये तड़प रही है और भारत के लोग इसको जबर्दस्ती अपने साथ मिलाये हुए हैं।
आई.एस.आई. के एजेंटों के साथ गुप्त संबंध रखने वाले केंद्र सरकार के वार्ताकार भी यही संदेश दे रहे हैं कि काश्मीर की आत्मा मानों भारत की आत्मा से अलग है और उनको मुक्त करना ही इस समस्या का एकमात्र समाधान है। वे ऐसा दिखा रहे हैं कि कश्मीर कभी भारत का अंग नहीं था और वहां का जर्रा-जर्रा इस बात की गवाही देता है। वहां पर ऐसा कुछ नहीं है जो कश्मीर को शेष भारत के साथ जोड़ता हो। जबकि थोड़ा भी ईमानदार विश्लेषण यह सपष्ट करता है कि कश्मीर हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहा है, भारत की जनता कश्मीर पर हमेशा गर्व करती रही है, वहां पर सम्पूर्ण देश की जनता का आवागमन इतना ही सहज था जितना कि शेष भारत के अन्य स्थानों पर और कश्मीर का समाज हमेशा से ही अपने आप को भारत का पुत्र मानकर गौरवांवित महसूस करता था।
आज भी कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय एकता के अनेक सूत्र उपस्थित हैं जो बार-बार यह उद्घोष करते हैं कि कश्मीर हमेशा भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। ऐतिहासिक दृष्टि से अगर विचार किया जाये तो एक अन्धे को भी दिखाई देगा कि कश्मीर का इतिहास कुछ और भारत के एक अभिन्न अंग का ही इतिहास है। कुछ लोग कश्मीरियत की पहचान के नाम पर वहां का गौरवशाली इतिहास विकृत करना चाहते हैं। कश्मीरियत की जिस पहचान के कारण कश्मीर पूरी दुनिया के आकर्षण का केन्द्र रहा है, वह वहां के सूफी नहीं हैं जिनका जीवन इस्लाम का विस्तार करते हुए ही बीता। सम्पूर्ण देश की जनता के लिये कश्मीर हमेशा से ही एक पुण्य भूमि की तरह रहा है। कश्मीर के तीर्थ हमेशा ही उसे आकर्षित करते रहे हैं। वहां का मार्तंड मंदिर हमेशा उसे कश्मीर घाटी की ओर खींचता रहा है। वह भारत के दो सूर्य मंदिरों में से एक है। वहां का विश्वविद्यालय देश भर के प्रबुद्ध विद्यार्थियों के आकर्षण का केन्द्र रहा है।
कश्मीर में पूरे देश के विद्वान शैव दर्शन पर होने वाली चर्चाओं में भाग लेने के लिये जाते थे। क्षीर भवानी के मंदिरों के दर्शन करके हर हिंदू अपने आप को धन्य समझता था। भारत के हर हिन्दू के आकर्षण का सबसे बड़ा केन्द्र बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा रही है। इस पवित्र गुफा के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के बावजूद वह जीवन में कम से कम एक बार बर्फानी बाबा के दर्शन कर अपने आपको धन्य समझता है। कुछ वर्ष पूर्व तक कई लोग बाबा अमरनाथ के मार्ग में ही अपने जीवन की अंतिम सांस को लेकर अपने आप को धन्य समझते थे। भारत के हर कोने में रहने वाला हिंदू बाबा के दर्शन के लिये उसकी पवित्र धरती की गोद में आकर यह महसूस करता था कि वह अपने पिता की ही गोद में है। बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण, राजतरंगिणि जैसे हजारों साल पुराने ग्रंथों में इसका विशद वर्णन पढ़ने के लिये आज भी उपलब्ध है। आज भी वह सब प्रकार की चुनौतियों के बावजूद बाबा के दर्शन के बिना अपनी जिन्दगी को अधूरा मानता है। हिन्दू की यह मानसिकता अनादिकाल से ही रही है। कश्मीर घाटी में इससे बड़ा राष्ट्रीय एकता का सूत्र और क्या हो सकता है?
इस स्थान पर शंकरभोले ने मां पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। सम्पूर्ण हिन्दू समाज शंकर का पुजारी है, पुजारी क्या वह स्वयं ही शंकरमयी है। वह शंकर की तरह भोला है, आशुतोष है। थोडे़ में ही खुश हो जाता है। कुपात्र को भी उसने आशिर्वाद दिये हैं। परन्तु शंकर की तरह ही जब वह तीसरा नेत्र खोलता है तो त्राहि-त्राहि मच जाती है। बाबा अमरनाथ अमरत्व के प्रतीक हैं। हिन्दू अमरत्व का साधक है। उसका और बाबा का अन्योन्याय सम्बंध है। वह यहां आता रहेगा। प्राकृतिक विपदाएं आती रहें, गोलियां चलती रहें, बम फटते रहें, यात्रियों के बलिदान होते रहें, हिन्दू रुकने वाला नहीं है। जब तक बाबा अमरनाथ हैं हिन्दू आता रहेगा। बाबा अमर हैं। वे वहां से हटने वाले नहीं हैं। आज देश के दुश्मनों को भी स्पष्ट हो गया है कि जब तक घाटी में बाबा हैं तब तक यहां हिन्दू आता रहेगा और जब तक हिन्दू यहां आता रहेगा, घाटी को दुनिया की कोई ताकत भारत से अलग नहीं कर सकती। इसलिये वे बार-बार यात्रा और यात्रियों को ही निशाना बनाते हैं।
अमरनाथ यात्रियों पर आतंकियों के हमले का जो सिलसिला 1986 से शुरू हुआ था वह अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा। एक बार तो यह स्पष्ट धमकी दी गई थी कि जो भी यात्रा पर आये, वो घर वालों से अलविदा कह कर आये क्योंकि उसके वापस आने का कोई भरोसा नहीं होगा।आतंकवादी और उनके सरपरस्त इस यात्रा को बंद करने के लिये तरह तरह के षड्यंत्र रचते रहते हैं। जब हमलों और धमकियों से हिन्दू नहीं रुका तो इसकी व्यवथा करने के बहाने हिन्दुओं की पवित्र यात्रा को सरकारी शिकन्जे में कसने की कोशिश की गई। कभी कहा गया कि न्यायालय के आदेश के बावजूद इसको जमीन नहीं दी जायेगी। उमर अब्दुल्ला, मुफ्ती और अलगाववादियों के अपवित्र गठबंधन नें जम्मू-कश्मीर को आग में झोंक दिया। 2008 का संघर्ष इनके षड्यंत्रों को हिन्दू समाज द्वारा विफल करने का एक एतिहासिक दस्तावेज बन गया है। बाबा की जमीन के नाम पर पूरा देश किस प्रकार बलिदान देने के लिये तत्पर हो गया था, यह कभी भुलाया नहीं जा सकता। 20 लाख से अधिक लोगों ने जेल भरो आन्दोलन में भाग लिया था। इस आन्दोलन से भी यह सिद्ध हो गया था कि पूरे देश के हिन्दू समाज के प्राण बाबा अमरनाथ में हैं जिनकी रक्षा के लिये वह किसी भी सीमा तक जा सकता है।
यह यात्रा हमेशा ही पूरा वर्ष चलती रही है। पवित्र शिवलिंग के दर्शन मह्त्वपूर्ण हैं, परन्तु गर्मी के दिनों जब पवित्र शिवलिंग अन्तर्ध्यान हो जाता है तब भी यात्रियों को वहां दर्शन के लिये जाते देख गया है। कारण बड़ा स्पष्ट है। हिन्दू समाज के लिये केवल शिवलिंग नहीं, सम्पूर्ण गुफा ही पवित्र है क्योंकि अमर कथा की साक्षी वह गुफा है जहां बैठ कर बाबा ने यह कथा सुनाई थी। परन्तु कभी मौसम के बहाने तो कभी शिवलिंग के पिघलने के बहाने, कभी सुरक्षा के बहाने तो कभी पर्यावरण के बहाने यात्रा पर तरह- तरह के प्रतिबंध लगाने के अनैतिक एवं असंवैधानिक प्रयास किये गये। हिन्दुओं को हतोत्साहित करने के सरकारी षड्यंत्र भी किये गये। इन्होंनें कभी यह विचार तक नहीं किया कि क्या वे इस प्रकार के प्रतिबंध किसी अन्य धर्म की यात्राओं पर भी लगा सकते हैं। भारतीय संविधान की अनुच्छेद २५ व २६ उनको इस तरह के प्रतिबंध लगाने से रोकती है। उच्च न्यायालय ने भी बोर्ड और सरकार को स्पष्ट कहा है कि उनको केवल यात्रा की व्यवस्था का अधिकार है, उसको नियंत्रित करने का नहीं। इसके बावजूद जैसे ही कोई अलगाववादी नेता यात्रा की अवधि या स्वरूप के बारे में कोई नकारात्मक टिप्पणी करता है, घाटी के नेता उसके सुर में सुर मिलाते हैं और फिर राज्यपाल उसको लागू करने में तत्परता दिखाते हैं। ये तथ्य इस बात की ओर इंगित करते हैं के यह यात्रा अराष्ट्रीय शक्तियों के निशाने पर इसीलिये रहती है क्योंकि वे इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि यह यात्रा राष्ट्रीय एकता को पुष्ट करने वाली यात्रा है।
इस पवित्र यात्रा को अलगाववादी और उनके रहनुमाओं की तरफ से मिलने वाली चुनौतियों के बावजूद इस यात्रा में हिंदुओं की सहभागिता कम होने की जगह निरन्तर बढ़ती जा रही है। पहले इस यात्रा में कुछ हजार लोग ही जाते थे। अब उनकी संख्या ५-६ लाख तक पहुंच जाती है। इस यात्रा में हमेशा लघु भारत का रूप उपस्थित हो जाता है। भारत के सभी प्रांतों के लोगों के दर्शन इस यात्रा में सहज रूप से हो जाते हैं। इस यात्रा को दी जानी वाली हर चुनौती को हर भारतीय अपने लिये चुनौती मानता है और उसका सामना करके उसको परास्त करना अपना धार्मिक और राष्ट्रीय कर्तव्य मानता है। इसलिये इस यात्रा का राष्ट्रीय महत्व समझकर हर भारतीय को इसकी और इसके पवित्र स्वरूप की रक्षा करने के लिये हमेशा तत्पर रहना चाहिये।

Monday 5 September 2011

देवस्थान का रास्ता बंद करने पर हंगामा


जम्मू। सतवारी के रायपुर क्षेत्र में सेना की ओर से फायरिंग रेंज से लगती भूमि पर तारबंदी से राजा मंडलीक के देवस्थान की ओर जाने वाला रास्ता बंद हो गया। इस पर स्थानीय लोगों ने रायपुर से सतवारी की तरफ जाने वाले मार्ग को बंदकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। माहौल तनावपूर्ण देख मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने बीच-बचाव कर स्थिति को संभाल मार्ग को खुलवाया। 

रविवार सुबह सतवारी स्थित रायपुर में बने सेना के फायरिंग रेंज से लगी भूमि पर सेना के जवानों ने तारबंदी शुरू की। इस बीच स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और जवानों को तारबंदी के अंदर आ रहे देवस्थान की ओर जाने वाले रास्ते को छोड़ने को कहा। तारबंदी कर रहे जवानों ने उच्च अधिकारियों का आदेश होने की बात कहकर रास्ता छोड़ने से इंकार कर दिया। इस पर स्थानीय लोग भड़क गए और सतवारी की ओर जाने वाले मार्ग को अवरुद्ध कर वाहनों की आवाजाही को बाधित कर दिया। मांग बंद होने की सूचना मिलते ही एसएचओ सतवारी आबिद रफीकी पहुंचे व सैन्य अधिकारियों से बातकर देवस्थान की ओर जाने वाले मार्ग को अस्थायी तौर पर खुलवा दिया। इसके बाद लोगों ने देवस्थान पर पूजा-अर्चना की। एसएचओ के अनुसार तारबंदी से धार्मिक स्थल की ओर जाने वाला मार्ग बंद हो गया था, जिसे बीच-बचाव का खुलवाया है। 

(दैनिक जागरण)

Friday 2 September 2011

गणेश महोत्सव धूमधाम से शुरू


जम्मू। पार्वती नंदन, रिद्धी-सिद्धी के दाता गणेश जी की विधिवत पूजा-अर्चना के साथ वीरवार को परेड ग्राउंड में गणेश महोत्सव का शुभारंभ हुआ। गौरी नंदन की भव्य मूर्ति के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। विद्वान पंडितों ने धार्मिक अनुष्ठान के साथ भगवान गणेश को इस महोत्सव में आमंत्रित किया। मूर्ति स्थापना से पूर्व शहर में कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें महिलाओं के साथ काफी संख्या में पुरुष व बच्चों ने भी भाग लिया। परेड से आरंभ हुई यह कलश यात्रा रणवीरेश्वर मंदिर पहुंची जहां इस धार्मिक अनुष्ठान के सफल आयोजन के लिए भगवान शिव-पार्वती से प्रार्थना की गई। शोभायात्रा दोपहर को परेड पहुंची जहां विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के साथ गणेश भगवान की विशाल मूर्ति की पूजा-अर्चना की गई।
भारतीय वैदिक संस्थान द्वारा आयोजित इस महोत्सव में कई कार्यक्रम होंगे। हरिद्वार से आए स्वामी अक्षरानंद गिरि जी महाराज ने श्रद्धालुओं को गणेश कथा का ज्ञान दिया। उसके उपरांत भजन भी प्रस्तुत किए गए। शाम साढ़े सात बजे के करीब भगवान गणेश की विशेष पूजा के उपरांत वृंदावन से आए कलाकारों ने श्री कृष्ण रासलीला से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंदिरों के शहर में तीसरी बार मनाए जाने वाले इस महोत्सव में भगवान गणेश की भव्य प्रतिमा के दर्शन करने वालों का देर शाम तक तांता लगा रहा। संस्थान के चेयरमैन आचार्य संजय शास्त्री ने बताया कि 11 सितंबर तक चलने वाले इस महोत्सव के दौरान सुबह व शाम को विद्वान पंडित भगवान श्री गणेश की महाआरती करेंगे। सांबा कस्बे के चौहाटा चौक में स्थित नरसिंह मंदिर में वीरवार सुबह गणेश मूर्ती प्रतिष्ठापित की गई। इस अवसर पर हवन-यज्ञ, आरती व पूजा-अर्चना की गई। नृसिंह युवा मण्डल की ओर से किए जा रहे इस गणेश महोत्सव में 11 गणेश की मूर्तियां रखी गई हैं। कमेटी के सदस्यों ने मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया हुआ था। वहीं, कस्बे के बाजार में स्थित शिवदुआला मंदिर में भी गणेश जी की मूर्ती प्रतिष्ठापित की गई। इस अवसर पर एमएलसी मास्टर नूर हुसैन मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। वहीं, आरएसपुरा कस्बे में धार्मिक युवा समिति की ओर से गणेश महोत्सव की शुरुआत शोभायात्रा निकाल कर की गई। शोभायात्रा शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजरी, जिसका लोगों ने जोरदार स्वागत किया। शोभायात्रा में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। बैंडबाजों के साथ भजन मंडलियों ने भजन गाकर क्षेत्र के माहौल को भक्तिमय बना दिया। शोभायात्रा के दौरान गणेश जी की झांकी निकाली गई। झांकी का कस्बे में कई जगहों पर स्टॉल लगा स्वागत किया गया। पहली सितंबर से सात सिंतबर तक चलने वाले इस महोत्सव में रोजाना रात नौ बजे से बारह बजे तक गणेश लीला व जागरण किया जाएगा। कार्यक्रम में राज्य सहित पंजाब व हिमाचल के कलाकार प्रभु का गुणगान करेंगे। 

(दैनिक जागरण/ 02 सितम्बर 2011)

Wednesday 31 August 2011

25 साल का हुआ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड


कटड़ा (31 August)। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने 30 अगस्त को 25 वर्ष पूरा किया। इस उपलक्ष्य में भवन व आधार शिविर कटड़ा में रजत जयंती समारोह मनाई गई। इस मौके पर बोर्ड प्रशासन ने वैष्णो देवी भवन सहित भैरो घाटी, सांझीछत, अ‌र्द्धकुंवारी, चरण पादुका, गुरुकुल तथा आधार शिविर कटड़ा के निहारिका कांप्लेक्स में हवन-यज्ञ का आयोजन किया। 

मुख्य समारोह भवन स्थित श्रीधर भवन परिसर में हुआ, जिसमें राज्यपाल एवं बोर्ड के चेयरमैन एनएन वोहरा बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। उन्होंने हवन यज्ञ में शामिल होकर साल के अंत तक बोर्ड प्रशासन द्वारा चलाए जाने वाले समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। इससे पहले राज्यपाल सुबह 10.45 पर जम्मू से विशेष हेलीकाप्टर से यहां पहुंचे। राज्यपाल ने वैष्णो देवी के चरणों में हाजिरी लगाकर राज्य की सुख शांति की कामना की। इसके उपरांत राज्यपाल ने भवन पर पांच मंजिला इमारत का नींव पत्थर रखा। इसमें श्रद्धालुओं के लिए करीब 2500 निशुल्क लॉकर की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही राज्यपाल ने गौरी भवन स्थित घोड़ों तथा मजदूरों के लिए बनने वाले चार मंजिला कांप्लेक्स का नींव पत्थर भी रखा। 

इस मौके पर बोर्ड के एडिशनल सीईओ डॉ. एमके भंडारी ने बताया कि यह दोनों महत्वपूर्ण परियोजनाएं दो साल के अंदर पूरी कर ली जाएगी। इसके साथ ही राज्यपाल ने भवन पर निर्माणाधीन पार्वती कांप्लेक्स का जायजा लिया। अधिकारियों को तय समय में परियोजनाएं पूरी करने के निर्देश दिए। बोर्ड प्रशासन ने पूर्व सीईओ को विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इस मौके पर मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सचिव बीबी व्यास, वित्त आयुक्त वीआर शर्मा, प्रिंसिपल सचिव वित्त विभाग सुधांशु पांडे, डीआइजी जगजीत कुमार, डीसी रियासी पीके पोले, एएसपी मोहन लाल, डीएसपी भवन परषोत्तम शर्मा, एसएचओ भवन एसडी सिंह व अन्य मौजूद थे।

Conscious nations never forget the sacrifices of their martyrs

 Press-Note   Date : 31/08/2011
Shri Amarnath Samiti has paid glowing tributes to all the 13 martyrs of 2008 Amarnath land row agitation who scarified their lives during the Amarnath land row.The function was organized in a big way with huge participation of people at  Geeta Bhawan, Jammu. The focus of the programme was to remember and recall the supreme sacrifices made by the martyrs during the agitation. Sangharsh Samiti honored the family members of all the martyrs by presenting them shawls as a token of respect. The photographs of all the martyrs namely Manjit Kumar, Ramesh Kumar, Kuldeep Verma, Sanjeev Singh Samyal, Sunny Padha, Narinder Sharma, Dr. Balwant Raj Khajuria, Deepak Kumar, Bodh Raj, Girdhari Lal  Jaswant Singh Ajab Singh and Satish Pandita  were placed on the stage bedecked with flowers and garlands.Paying floral homage to the martyrs Brgd.Sucheet Singh  Convenor of the Samiti described their sacrifices as supreme service to the nation. He said that the conscious nations never forget the sacrifices of their people and try to fulfill the cause for which those people laid down their lives.   He said the 2008 agitation brought all the nationalist people of Jammu & Kashmir under one umbrella to agitate against the repeated discrimination with Jammu in all matters and at all levels.  It was the out burst and anger of Jammuites  & Kashmiri Pandits against the successive governments which had taken them  for granted
Dr.Jitendra Singh a member of Samiti, said it was a historic agitation which sent a clear message that the nationalist people of Jammu & Kashmir will not tolerate any discrimination and that they can achieve what they deserve. He said the people of Jammu have been consistently agitating since 1947 on different issues which were directly related to the national cause and full integration of the state with the rest of the country. "Be it Praja Parishad, Jana Sangh or Sangarsh Samiti, we have always stood with the nationalist people in the state and even sacrificed our youth while fighting against discriminatory policies and against anti-national elements.   
Speaking on the occasion Chairman of Shri Amarnath Shaheed Memorial Trust & former Convenor of Sangarsh Samiti  Leela Karn Sharma criticized the state government for  not keeping its promise of compensating traders, transporters, industrialists, farmers and others, who suffered losses during the agitation to the tune of 15,000 crores alleging this was so because of its anti national approach.  

He  
said that lacs of people including our security personals have laid down their lives for the Nation since 1931 and the nation owes a lot to these martyrs and will never let down their sacrifices. He said the cancellation of Shri Amarnath Land and speech made by Omar Abdullha in Parliament  in  2008  showed the mentality of rulers in Jammu & Kashmir, He said to remember the martyrdom of the grat martyrs of Bharat Mata in J&K, Sangarsh Samiti has created  Shri Amarnath Sheed memorial trust which  will construct a memorial in the name of these martyrs at Jammu. Prominent among others who attended the Swabiman Diwas were Mahant Rameshware  Dass ji Maharaj,  Prof.Hari Om,  Dr. Gautam Mengi, Ashwani Chirango,  BJP Legislature Party leader Jugal Kishore Sharma, BJP state president Shamsheer Singh Manhas, Dr.Nirmal Singh President Brahmin Sabha Ved Prakesh Saharma  Prof.Narinder Singh, Advocate Chander Mohan Sharma, Chander Prakesh Ganga, Annan Sharma, Pritam Sharma Shakti Dutt Sharma and Mohinder Pal Singh Pandu,
                                         
                                      Ravinder Raina
                                          Secretary
                                          SAYSS

जम्मू में तीसरा विशाल गणेश उत्सव एक सितम्बर से


जम्मू। जम्मू के परेड़ ग्राउंड में श्री गणेश उत्सव 1 सितम्बर से 11 सितम्बर तक भारतीय वैदिक संस्थान की ओर आयोजित किया जा रहा है जिसके लिए मुम्बई से भगवान श्रीगणेश जी की 15 फीट मूर्ति मंगवाई गई है। आचार्य संजय शास्त्री ने आज यहां पत्रकारों को सम्बोधित करते हुये बताया कि जम्मू में यह तीसरा विशाल गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। इस संबंध में आज सायंकाल में वैदिक आश्रम ग्रेटेर कैलाश से एक शोभा यात्रा भी निकाली जायेगा जो शहर के विभिन्न बाजारों से होती हुये परेड ग्राउंड पहुंचेगी।

उन्होंने कहा कि एक सितम्बर को कलश यात्रा के बाद परेड ग्राउंड में यह उत्सव प्रारंभ होकर 11 सितम्बर तक चलेगा। इस दौरान श्रीगणेश कथा, भजन, कीर्तन व अन्य कार्यक्रम लगातार 10 दिन तक चलते रहेंगे। 11 सितम्बर को मूर्ति विसर्जन होगा जिसके लिए जम्मू से मूर्ति यात्रा अखनूर के लिए रवाना होगी।